Sayyedi Ant Habeebi (Mudd’aa Zeest Ka Maine Paya) Naat Lyrics
Sayyedi Ant Habeebi (Mudd’aa Zeest Ka Maine Paya) Naat Lyrics
सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी
मुद्दआ़ ज़ीस्त का मैंने पाया
रह़मते-हक़ ने किया फिर साया
मेरे आक़ा ने करम फ़रमाया
फिर मदीने का बुलावा आया
पेहले कुछ अश्क बहा लूं तो चलूं
एक नई नात सुना लूं तो चलूं
सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी
चाँद तारे भी मुझे देखेंगे
माह पारे भी मुझे देखेंगे
खुद नज़ारे भी मुझे देखेंगे
ग़म के मारे भी मुझे देखेंगे
मैं नज़र सब से बचा लूं तो चलूं
एक नई नात सुना लूं तो चलूं
सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी
शुक्र में सर को झुकाने के लिये
दाग़ हसरत के मिटाने के लिये
बख़्त ख़्वाबीदा जगाने के लिये
उन के दरबार में जाने के लिये
अपनी अवक़ात बना लूं तो चलूं
एक नई नात सुना लूं तो चलूं
सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी
सामने हो जो दरे-लुत्फ़ो-करम
यूं करूं अर्ज़ के या शाहे-उमम
आ गया आप का मोहताज, करम
इस गुनाहगार का रखिएगा भरम
शौक़ को अर्ज़ बना लूं तो चलूं
एक नई नात सुना लूं तो चलूं
सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी
उनकी मिदहत में है जीना मेरा
कैसे डूबेगा सफीना मेरा
देख लो चीर के सीना मेरा
दिल है या शेहरे मदीना मेरा
दिल अदीब अपना दिखा लूं तो चलूं
एक नई नात सुना लूं तो चलूं
सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी