Naseem-e-Faiz Chala Dijiye Mere Aaqa Gul-e-Ummeed Khila Dijiye Mere Aaqa Naat Lyrics
नसीम-ए-फ़ैज़ चला दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
हूँ दूर आप की दहलीज़ से, हुई मुद्दत
बस अब ये दूरी मिटा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
वो सब्ज़-गुंबद-ओ-मीनार-ओ-मिम्बर-ओ-मेहराब
फिर अपना रौज़ा दिखा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
ख़ुदा-रा ! कीजे तलब अब तो अपने क़दमों में
नसीब मेरा जगा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
अजीब सोज़ उहुद की फ़ज़ा-ए-पाक में है
वो भीनी ख़ुश्बू सूँघा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
नसीब फिर से हों इफ़्तारियाँ मदीने में
वो लम्हें बहर-ए-ख़ुदा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
बिठा के सुफ़रे पे अपने मुझे भी दें ‘इज़्ज़त
फिर उस के टुकड़े खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
दहीं, खजूर, वो ज़मज़म, वो नान के टुकड़े
मुझे तो बस ये ग़िज़ा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
बुला के दर पे ‘इनायात-ए-ख़ास के गौहर
‘उबैद पर भी लुटा दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
नसीम-ए-फ़ैज़ चला दीजिए, मेरे आक़ा !
गुल-ए-उम्मीद खिला दीजिए, मेरे आक़ा !
शायर:
ओवैस रज़ा क़ादरी
ना’त-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी
naseem-e-faiz chala dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
hu.n door aap ki dahleez se, hui muddat
bas ab ye doori miTa dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
wo sabz-gumbad-o-meenaar-o-mimbar-o-mehraab
phir apna rauza dikha dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
KHuda-ra ! keeje talab ab to apne qadmo.n me.n
naseeb mera jaga dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
ajeeb soz uhud ki faza-e-paak me.n hai
wo bheeni KHushboo sungha dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
naseeb phir se ho.n iftaariyaa.n madine me.n
wo lamhe.n bahr-e-KHuda dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
biTha ke sufre pe apne mujhe bhi de.n ‘izzat
phir us ke Tuk.De khila dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
dahi.n, khajoor, wo zamzam, wo naan ke Tuk.De
mujhe to bas ye Giza dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
bula ke dar pe ‘inaayaat-e-KHaas ke gauhar
‘Ubaid par bhi luTa dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !
naseem-e-faiz chala dijiye, mere aaqa !
gul-e-ummeed khila dijiye, mere aaqa !