Ye Duniya Kaisi Duniya Hai Sab Apna Paraya Karte Hain Naat Lyrics

 

 

ये दुनिया कैसी दुनिया है ! सब अपना पराया करते हैं
एक रहमत-ए-आलम ही सब को सीने से लगाया करते हैं

अल्फ़ाज़ नहीं, जुमले भी नहीं, कैसे मैं करूँ उन की मिदहत
मौला के फ़रिश्ते ख़ुद जिन को झूले में झुलाया करते हैं

एक मैं ही नहीं हूँ शैदाई, सरकार के नूरी जल्वों के
दीदार की ख़ातिर सिदरा से जिब्रील भी आया करते हैं

सूरज को पसीना आता है और चाँद कहीं छुप जाता है
सरकार-ए-मदीना चेहरे से जब पर्दा हटाया करते हैं

दुश्मन का कलेजा फटता है, उश्शाक़ मचलने लगते हैं
जब ताज-ए-शरीअ’त का, सागर ! हम ना’रा लगाया करते हैं

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