Ya Muhammad Muhammad Main Kehta Raha Noor Ke Motiyon Ki Ladi Ban Gai Naat Lyrics

 

 

या मुहम्मद मुहम्मद मैं कहता रहा
नूर के मोतियों की लड़ी बन गई
आयतों से मिलाता रहा आयतें
फिर जो देखा तो ना’त-ए-नबी बन गई

जो भी आँसू बहे मेरे महबूब के
सब के सब अब्र-ए-रहमत के छींटे बने
छा गई रात जब ज़ुल्फ़ लहरा गई
जब तबस्सुम किया चाँदनी बन गई

या मुहम्मद मुहम्मद मैं कहता रहा
नूर के मोतियों की लड़ी बन गई
आयतों से मिलाता रहा आयतें
फिर जो देखा तो ना’त-ए-नबी बन गई

जब छिड़ा तज़्किरा हुस्न-ए-महबूब का
वद्दुहा कह दिया, वल-क़मर पढ़ लिया
आयतों की तिलावत भी होती रही
ना’त भी हो गई, बात भी बन गई

या मुहम्मद मुहम्मद मैं कहता रहा
नूर के मोतियों की लड़ी बन गई
आयतों से मिलाता रहा आयतें
फिर जो देखा तो ना’त-ए-नबी बन गई

कौन है जो तलबगार-ए-जन्नत नहीं
ये भी माना कि जन्नत है बाग़-ए-हसीं
हुस्न-ए-जन्नत को जब भी समेटा गया
मुस्तफ़ा के नगर की गली बन गई

या मुहम्मद मुहम्मद मैं कहता रहा
नूर के मोतियों की लड़ी बन गई
आयतों से मिलाता रहा आयतें
फिर जो देखा तो ना’त-ए-नबी बन गई

सब से साइम ज़माने में मा’ज़ूर था
सब से बे-कस था, बे-बस था, मजबूर था
मेरी हालत पे उन को रहम आ गया
मेरी अज़्मत मेरी बे-बसी बन गई

या मुहम्मद मुहम्मद मैं कहता रहा
नूर के मोतियों की लड़ी बन गई
आयतों से मिलाता रहा आयतें
फिर जो देखा तो ना’त-ए-नबी बन गई

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