Un Ki Jaam-e-Jam Aankhen Sheesha-e-Badan Mera Naat Lyrics
उन की जाम-ए-जम आँखें शीशा-ए-बदन मेरा
उन की बंद मुट्ठी में सारा बाँकपन मेरा
उन की जाम-ए-जम आँखें, शीशा है बदन मेरा
उन की बंद मुट्ठी में सारा बाँकपन मेरा
अर्ज़-ए-गंग भी मेरी है, ख़ित्ता-ए-जमन मेरा
मैं ग़ुलाम-ए-ख़्वाजा हूँ, हिन्द है वतन मेरा
अर्ज़-ए-गंग भी मेरी, ख़ित्ता-ए-जमन मेरा
मैं ग़ुलाम-ए-ख़्वाजा हूँ, हिन्द है वतन मेरा
आशिक़-ए-नबी हूँ मैं, वारिस-ए-‘अली हूँ मैं
मैला हो न पाएगा हश्र तक कफ़न मेरा
ना’त-ए-मुस्तफ़ा कहना, ना’त-ए-मुस्तफ़ा सुनना
मुझ को बख़्शवाएगा हाँ ! यही चलन मेरा
हश्र में निदा होगी ‘ये ग़ुलाम किस का है ?’
मुझ को देखें और कह दें या शह-ए-ज़मन ‘मेरा’
ताक़-ए-दिल पे रखी है शम’अ ‘इश्क़-ए-अहमद की
नूर की शु’आओं से भर गया है मन मेरा
आप चाहें हो जाएँ सारी मुश्किलें आसाँ
आप चाहें मिट जाए रंज और मेहन मेरा
मैं ने सारे काम अपने मुस्तफ़ा को सौंपे हैं
क्या बिगाड़ पाएगा दौर-ए-पुर-फ़ितन मेरा
हश्र में तराज़ू पर तोले जाएँगे आ’माल
काम आ ही जाएगा ना’त का ये फ़न मेरा
अर्श से परे जा कर मुस्तफ़ा ने बतलाया
ये ज़मीं भी मेरी है और है गगन मेरा
गुलशन-ए-मदीना से, नज़्मी ! मुझ को निस्बत है
एक एक कली मेरी, गुल मेरा, चमन मेरा