Sunniyon Ka Naara Hai Ahmad Raza Hamara Hai Naat Lyrics
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
जब मैंने सुनाई नाते-नबी
सुन हो गया नजदी सुनते ही
सुन्नी ने सुना, सुनकर ये कहा
सुब्हानल्लाह, सुब्हानल्लाह
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
रज़ा के नाम पर सारा ज़माना नाज़ करता है
ये वो मन्सब है जो एक ख़ुशक़िस्मत को मिलता है
रज़ा के नाम पे मरते हैं लाखों लोग दुनिया में
कोई हस हस के मरता है, कोई जल-बुझ के मरता है
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
जामे-कौसर पी गए तो माहताबी हो गए
ग़म से मुरझाए हुए चेहरे गुलाबी हो गए
बु-बकर, फ़ारूक़, उस्मां, हैदरो-तल्हा, बिलाल
आमेना के चाँद को देखा, सहाबी हो गए
क़ादरीयो-अशरफ़ी, रज़वी बने अहले-सुनन
और कौवा जितने खाने वाले थे वहाबी हो गए
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
तू ने बाति़ल को मिटाया ऐ इमाम अह़मद रज़ा
दीन का डंका बजाया ऐ इमाम अह़मद रज़ा
ज़ोर बाति़ल का ज़लालत का था जिस दम हिन्द में
तू मुजद्दिद बन के आया ऐ इमाम अह़मद रज़ा
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
ज़माना तूफ़ां उठाए लेकिन जहाँ रज़ा का ग़ुलाम होगा
वहाँ सदा-ए-दुरूद होगी, सलाम होगा, क़याम होगा
अगर क़यामत में इस सदी के तमाम शायर बुलाए जाएं
मुक़ाबला फिर कलाम का हो, रज़ा इमामुल-कलाम होगा
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
सारे जहां पे छाया, अह़मद रज़ा हमारा
सुन्नी के दिल को भाया, अह़मद रज़ा हमारा
मुश्किल में पड़ गए थे सारे जहां के सुन्नी
जिसने हमें बचाया, अह़मद रज़ा हमारा
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
या ख़ुदा बज़्मे-कोनैन में ता-अबद
शम्ए-बज़्मे-हिदायत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत के जितने हैं फूल
सारे फूलों की निकहत सलामत रहे
रोज़े-महशर अगर मुझ से पूछे ख़ुदा
बोल आले-रसूल तू लाया है क्या
अर्ज़ कर दूंगा लाया हूँ अहमद रज़ा
या ख़ुदा ये अमानत सलामत रहे
लाख जलते रहें दुश्मनाने-रज़ा
कम न होंगे कभी मदह-ख़्वाने-रज़ा
केह रहे हैं सभी आशिक़ाने-रज़ा
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
नबी की मिदहत जो करना हमको सीखा रहा है, मेरा रज़ा है
हमारे दिल में नबी की अज़मत बिठा रहा है, मेरा रज़ा है
सहाबियों से कहें ये आक़ा के आने वाला है मेरा आशिक़
लो आ रहा है, वो आ रहा है, जो आ रहा है, मेरा रज़ा है
बनाओ टोली, लगाओ चिल्ले, चुरा न पाओगे ईमां मेरा
जो नजदियों से हमारा ईमां बचा रहा है, मेरा रज़ा है
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है
नबी की मिदहत जो करना हमको सीखा रहा है, मेरा रज़ा है
हमारे दिल में नबी की अज़मत बिठा रहा है, मेरा रज़ा है
मेरी क्या औकात ! क्या लिखूं मैं ! क़लम में इतनी नहीं है ताक़त
सलीम से जो नबी की नातें लिखा रहा है, मेरा रज़ा है
वहाबियों का नसीब ही ये के कौवे खाएं वो काले काले
जो सुन्नियों को मुर्ग़े-मुसल्लम ख़िला रहा है, मेरा रज़ा है
सुन्नियों का नारा है, अह़मद रज़ा हमारा है