Nawaaza Gaya Hai Mujhe Is Tarah Se Naat Lyrics
नवाज़ा गया है मुझे इस तरह से
मुक़द्दर का मुझ को धनी कर दिया है
मैं अब और क्या माँगूँ अपने ख़ुदा से
ख़ुदा ने मुझे अज़हरी कर दिया है
न जाने के किस हाथ पे जा के बिकते
न जाने कहाँ और हम कैसे दिखते
ग़ुलामी पे अख़्तर की क़ुर्बान जाएं
के जिसने हमें जन्नती कर दिया है
यकायक ही बदला बहारों का मौसम
घुला इस में अख़्तर की रेहलत का जब ग़म
वो इक गुल जो टूटा रज़ा के चमन से
तो फीका हर इक रंग ही कर दिया है
ए ताहिर ! अजब कुछ नहीं रोज़-ए-महशर
उसे बख़्श दे रब की रहमत ये कह कर
जनाज़े में अख़्तर के शामिल हुवा तू
जा दोज़ख़ से तुझ को बरी कर दिया है