Masjiden Bulati Hain Naat Lyrics

Masjiden Bulati Hain Naat Lyrics

 

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

रब की बन्दगी कर के तुम फ़लाह पाओगे
हर अज़ान में तुमको नुसरतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

नग़्मा-ए-अज़ां का ये मुख़्तसर तआरुफ़ है
तुमको दीनो-दुनियां की शौकतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

ख़ुल्द की तलब की थी खूब तुमने रमज़ां में
आओ आके ले लो तुम, जन्नतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

मग़फ़िरत की ख़ातिर तुम रोए गिड़गिड़ाए थे
अब न मुँह को फेरो तुम, बख़्शिशें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

मालो-ज़र के चक्कर में रब को भूल बैठे हो
सर को रख दो सजदे में, नेअमतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

जो भी चाहिये तुम को सब यहां से पाओगे
ख़ालिक़े-दो आलम की क़ुर्बतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

मस्जिदों को छोड़ा तो सब ही छूट जाएगा
रब के बन्दो ! आ जाओ अज़मतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

चाहती है ये दुनियां मोमिनो की रुसवाई
मस्जिदों में आओ तुम, इज़्ज़तें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

आफ़ियत तुम्हें बढ़कर ख़ुद पनाह में ले लेगी
आओ अमन की तुमको सरहदें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

सब अता किया रब ने फिर भी तुम परेशां हो
तुम नमाज़ को आओ, बरकतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

ज़िन्दगी के लम्हों का लुत्फ़ है इबादत में
आओ ज़िंदगानी की लज़्ज़तें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

ख़ान-ए-इलाही में तू भी ए फ़रीदी ! चल
तुझ को इल्मो-हिक़मत की वुसअतें बुलाती हैं

क्यूँ उदास फिरते हो, राहतें बुलाती हैं
आओ ए मुसलमानों ! मस्जिदें बुलाती हैं

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