Madad Kar Meri Do Jahanon Ke Malik Naat Lyrics

 

 

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

गुनाहों के दलदल में मैं फस गया हूँ
निकलने की राहें हुई बंद सारी
वो नैया मेरी डूबती जा रही है
बचा ले उसे तू ख़ुदावन्दे-बारी
किसी से कोई वास्ता ही नहीं है
तेरा जब से ख़ालिक़ सहारा है मुझको

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

तेरा नाम ह़य्यू और क़य्यूम भी है
तुझे नींद आती नहीं एक पल भी
तू ही थामता है ज़मीं आसमां को
हवाएं भी हैं हुक़्म से तेरे चलती
मुझे थाम ले और बचा ले मुझे तू
बहुत दूर लगता किनारा है मुझ को

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

तू राज़िक़ है सब का जहाँनों के मालिक
ज़मीं आसमां में तेरी बादशाही
तू ही बख़्शता है दिनों को उजाले
के रातों को देता है तू ही सियाही
कुशादा मेरा रिज़्क़ कर दे ऐ मालिक
ये कहने को दिल ने उभारा है मुझ को

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

तेरी बंदगी तो मेरी ज़िन्दगी है
मेरी ज़िन्दगी का तो हासिल यही है
मैं सजदे पे सजदा किये जा रहा हूँ
ये गरदन मेरी तेरे दर पर झुकी है
क़लम फेर दे खुद मेरी हर खता पर
मैं मिट जाऊं कैसे गवारा है मुझ को

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

तेरा नाम सत्तार, ग़फ़्फ़ार भी है
ये बंदा तो आजिज़ गुनाहगार भी है
इलाही मेरा सर है सजदे में रखा
ज़ुबां पर मेरी आज इकरार भी है
ज़माने से मुंह मोड़ कर आ गया हूँ
फकत एक तेरा सहारा है मुझ को

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

मेरे हाथ उठते नहीं हैं दुआ को
कभी गैर के दर पे जाकर ख़ुदाया
तू हाजत-रवा है, तू मुश्क़िल-कुशा है
इसी बात पर तो मैं ईमान लाया
हर एक शय है कब्ज़ा-ए-क़ुदरत में तेरे
ये ईमान जां से भी प्यारा है मुझ को

मदद कर मेरी दो जहाँनों के मालिक
मुसीबत में मैंने पुकारा है तुझ को

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