khwaja teri basti me rahmat barasti lyrics hindi

 

 

Khwaja Teri Basti Me Rahmat Barasti Lyrics Hindi

ख्वाजा जी महाराजा जी ×6

चौखट पे है सर ख़म हो कोई भी हस्ती
हर चीज़ सुहानी महगी हो या सस्ती
अजमेर की गलियों में पीर परस्ती
है दीन का मसकन ईमान की बस्ती

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

दुनिया के ग़म से कोई भी रिश्ता नहीं रहता
बेशक़ किसी भी बात का सदमा नहीं रहता
लंगर अ़ली के नाम का बटता है रात-दिन
बस्ती में तेरी कोई भी भूखा नहीं रहता

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

दीवानो की हर एक गलती नज़र-अन्दाज़ करती है
नज़र तेरी! हर एक आरज़ू परवाज़ करती है
अमीरों की अमीरी है तेरी चौखट पे शर्मिन्दा
तेरे दर पर फ़क़ीरों की फ़क़ीरी नाज़ करती है

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

या ख़्वाजा हमें दामन-ए-निस्बत में छुपा ले
तेरे सिवा किसी का सहारा नहीं हमें
ये दुनिया छूट जाए तो किस बात का है ग़म
छूटे तेरी छटी ये गवारा नहीं हमें

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

खिलाये फ़ूल ईमां के तेरे पाकीजा मकसद ने
सवारा है तुझे ख़्वाजा यक़ीनन नूर ए अहमद ने
हकीकत में ये सच है हम ग़रीबों के लिए ख़्वाजा
तुझे भारत में भेजा है मदीने से मुह़म्मद (saw) ने

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

क्या मर्तबा है ये भी ज़माने को दिखाया
वलियों में ऐसा शर्फ़ भला किसने है पाया
मक्के की सर ज़मीन पर काबे के सामने
खुद पीर ने मुरीद को कांधे पे बिठाया

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

तू दिलवर-ए-अली है तू जान-ए-हुसैन है
तू है अत़ा-ए-मुस्तफ़ा ज़हरा का चैन है
हिन्दुस्तां से ले के मदीने तलक बेशक़
ख़्वाजा तेरी बस्ती का अजब शोर-ओ-शैन है

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

या ख़्वाजा इस नज़र को कोई भा नहीं सकता
तेरे करम को कोई भी झुटला नहीं सकता
तारीख है गवाह के अब हिन्द में कोई
सुल्तान तुझसा ख़्वाजा कोई आ नहीं सकता

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

तेरे दरबार से ख़्वाजा कोई खाली नहीं जाता
यहां पर इल्तिजा आकर सभी मौहताज़ करते हैं
फ़क़ीराना लिवासों में शहंशाह ही शहंशाह हैं
तेरी बस्ती के मंगते तो जहां पे राज करते हैं

 

ख़्वाजा तेरी बस्ती (ह़क़ मुईन) में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती
ख़्वाजा तेरी बस्ती में रहमत बरसती

 

Qawwal: Aziz Naza
Lyrics: Aziz Naza

Khwaja Teri Basti Me Full Lyrics

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *