Khuda Ke Fazl Se Kya Khush-Numa Sibtain Ka Sehra Naat Lyrics

 

 

ख़ुदा के फ़ज़्ल से क्या ख़ुश-नुमा सिब्तैन का सेहरा
मुबारक हो ! मुबारक की बिना सिब्तैन का सेहरा

शहंशाह-ए-मदीना की ये प्यारी प्यारी सुन्नत है
महकते फूल के जैसे खिला सिब्तैन का सेहरा

निगाहें हों झुकी, लब पर सजा क़ुफ़्ल-ए-मदीना हो
सभी कह दें, है देखो बा-हया सिब्तैन का सेहरा

दुआ अकरम की भी शामिल है देखो इस ही सेहरे में
तभी तो दिल-रुबा और दिल-कुशा सिब्तैन का सेहरा

न क्यूँ फूले समाए आज ये ‘फ़र्रुख़ बेग़म’ भी
दुआ-ए-माँ से ही है पुर-ज़िया सिब्तैन का सेहरा

यही ‘तेहसीन’ कहते हैं दुआ-ए-नाज़ दे कर के
नई मंज़िल की ओर जो चला सिब्तैन का सेहरा

नज़र जो आ रहे हैं वो ‘रमीज़’ कह रहे हैं सब
बहुत से फूल कलियों से बना सिब्तैन का सेहरा

मुबारकबाद दे कर कहते हैं सब को ‘फहीम’ ये
जवाँ-बख़्त के सर पर जो बँधा सिब्तैन का सेहरा

ख़ुदा रखे सलामत इस नए जोड़े को उम्र भर
उसे जब-जब भी देखो नित नया सिब्तैन का सेहरा

दिखा का’बा इन्हें और दिखा शहर-ए-मदीना भी
मसर्रत में मुज़य्यन, ए ख़ुदा ! सिब्तैन का सेहरा

क़लम ने कह दिया मुझ को बहुत सेहरे लिखे तू ने
मगर सब सेहरों से, बेख़ुद ! जुदा सिब्तैन का सेहरा

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