Kaabe Pe Padi Jab Pehli Nazar Kya Cheez Hai Duniya Bhool Gaya Naat Lyrics
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
यूं होशो-ख़िरत मफ़लूज हुवे, दिल ज़ौके-तमाशा भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
काअबे की रौनक़, काअबे का मंज़र
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
देखूं तो देखे जाऊं बराबर
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
फिर रूह को इज़्ने-रक़्स मिला, ख़्वाबीदा जुनू बेदार हुवा
तलवों का तक़ाज़ा याद रहा, नज़रों का तक़ाज़ा भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
तेरे हरम की क्या बात मौला
तेरे करम की क्या बात मौला
ता-उम्र कर दे आना मुक़द्दर
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
एहसास के पर्दे लहराए, ईमां की हरारत तेज़ हुई
सजदों की तड़प अल्लाह अल्लाह, सर अपना सौदा भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
हम्दे-ख़ुदा से तर हैं ज़बानें
कानों में रस घोलतीं हैं अज़ानें
बस इक सदा आती है बराबर
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
जिस वक़्त दुआ को हाथ उठे, याद आ न सका जो सोचा था
इज़्हारे-अक़ीदत की धुन में, इजहारे-तमन्ना भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
मांगी है मैंने जितनी दुआएं
मंज़ूर होंगी, मक़बूल होंगी
मीज़ाबे-रहमत है मेरे सर पर
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
पहुंचा जो हरम की चौखट पर, इक अब्रे-करम ने गेर लिया
बाकी न रहा ये होश मुझे, क्या माँग लिया क्या भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
भेजा है जन्नत से तुझ को रब ने
चूमा है तुझ को खुद मुस्तफ़ा ने
ऐ संगे-अस्वद तेरा मुक़द्दर
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
हर वक़्त बरस्ती है रहमत, काअबे में जमील अल्लाह अल्लाह
ख़ाकी हूँ मैं कितना भूल गया, आसी हूँ मैं कितना भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
यूं होशो-ख़िरत मफ़लूज हुवे, दिल ज़ौके-तमाशा भूल गया
काअबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया