Ilahi Roza-e-Khairul-Bashar Pe Main Agar Jaaun Naat Lyrics

 

 

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं
तो इक सज्दा करूँ ऐसा के आपे से गुज़र जाऊं

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं

नजात-ए-आख़िरत का इस क़दर सामान कर जाऊं
के तयबा जा के इक सज्दा करूँ, सज्दे में मर जाऊं

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं

कभी रोज़े से मिम्बर तक, कभी मिम्बर से रोज़े तक
इधर जाऊं, उधर जाऊं, इसी हालत में मर जाऊं

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं

सगान-ए-कूचा-ए-दिलदार की पैहम बलाएं लूँ
तमाशा बन के रह जाऊं, मदीने में जिधर जाऊं

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं

तुम्हारे नाम लेवा बे-ख़तर जाते हैं महशर में
इशारा हो अगर मुझ को तो मैं भी बे-ख़तर जाऊं

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं

ख़लील ! अब ज़ाद-ए-राह-ए-आख़िरत की सई-ए-अहसन में
मदीने सर के बल जाऊं, वहां पहुँचूँ तो मर जाऊं

इलाही ! रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर पे मैं अगर जाऊं
तो इक सज्दा करूँ ऐसा के आपे से गुज़र जाऊं

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