Ho Karam Sarkaar Ab To Ho Gae Gam Be-Shumaar Naat Lyrics

Ho Karam Sarkaar Ab To Ho Gae Gam Be-Shumaar Naat Lyrics

 

 

हो करम, सरकार ! अब तो हो गए ग़म बे-शुमार
जान-ओ-दिल तुम पर फ़िदा, ए दो जहाँ के ताजदार !

मैं अकेला और मसाइल ज़िंदगी के बे-शुमार
आप ही कुछ कीजिए न, ए शह-ए-‘आली-वक़ार !

याद आता है तवाफ़-ए-ख़ाना-ए-का’बा मुझे
और लिपटना मुल्तज़म से वालिहाना बार बार

संग-ए-अस्वद चूम कर मिलता मुझे कैफ़-ओ-सुरूर
चैन पाता देख कर दिल मुस्तजाब-ओ-मुस्तजार

या ख़ुदा ! दिखला हतीम-ए-पाक-ओ-मीज़ाब-ओ-मक़ाम
और सफ़ा-मरवा मुझे बहर-ए-रसूल-ए-ज़ी-वक़ार

जा रहा है क़ाफ़िला तयबा नगर रोता हुआ
मैं रहा जाता हूँ तन्हा, ए हबीब-ए-किर्दगार !

जल्द फिर तुम लो बुला और सब्ज़-गुम्बद दो दिखा
हाज़री की आरज़ू ने कर दिया फिर बे-क़रार

चूम कर ख़ाक-ए-मदीना झूमता फिरता था मैं
याद आते हैं मदीने के मुझे लैल-ओ-नहार

गुम्बद-ए-ख़ज़रा के जल्वे और वो इफ़्तारियाँ
याद आती है बहुत रमज़ान-ए-तयबा की बहार

या रसूलल्लाह ! सुन लीजे मेरी फ़रियाद को
कौन है जो कि सुने तेरे सिवा मेरी पुकार

हाल पर मेरे, करम की इक नज़र फ़रमाइए
दिल मेरा ग़मगीन है, ए ग़मज़दों के ग़म-गुसार !

क़ाफ़िले वालो ! सुनो, याद आए तो मेरा सलाम
अर्ज़ करना रोते रोते हो सके तो बार बार

ग़मज़दा यूँ न हुआ होता ‘उबैद-ए-क़ादरी
इस बरस भी देखता गर सब्ज़-गुम्बद की बहार

शायर:
उबैद रज़ा क़ादरी (ओवैस रज़ा क़ादरी)

नात-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी

 

ho karam, sarkaar ! ab to ho gae Gam be-shumaar
jaan-o-dil tum par fida, ai do jahaa.n ke taajdaar !

mai.n akela aur masaail zindagi ke be-shumaar
aap hi kuchh kijie na, ai shah-e-‘aali-waqaar !

yaad aata hai tawaaf-e-KHaana-e-kaa’ba mujhe
aur lipaTna multzam se waalihaana baar baar

sang-e-aswad choom kar milta mujhe kaif-o-suroor
aur safa-marwa mujhe bahr-e-rasool-e-zee-waqaar

jaa raha hai qafila tayba nagar rota huaa
mai.n raha jaata hu.n tanha, ai habeeb-e-kirdgaar !

jald phir tum lo bula aur sabz-gumbad do dikha
haazri ki aarzoo ne kar diya phir be-qaraar

choom kar KHaak-e-madina jhoomta phirta tha mai.n
yaad aate hai.n madine ke mujhe lail-o-nahaar

gumbad-e-KHazra ke jalwe aur wo iftaariyaa.n
yaad aati hai bahut ramzaan-e-tayba ki bahaar

ya rasoolallah ! sun leeje meri fariyaad ko
kaun hai jo ki sune tere siwa meri pukaar

haal par mere, karam ki ik nazar farmaaiye
dil mera Gamgeen hai, ai Gamzado.n ke Gam-gusaar !

qaafile waalo ! suno, yaad aae to mera salaam
arz karna rote rote ho sake to baar baar

Gamzada yu.n na huaa hota ‘Ubaid-e-Qadri
is baras bhi dekhta gar sabz-gumbad ki bahaar

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