Ham Ishq-e-Risaalat Ka Jazba Seenon Mein Basa Ke Dam Lenge Naat Lyrics
हम इश्क़-ए-रिसालत का जज़्बा सीनों में बसा के दम लेंगे
ईमान-ओ-अमल की धरती को गुलज़ार बना के दम लेंगे
महशर के दहकते मौसम में और नफ़्सी-नफ़्सी आलम में
रोती हुई उम्मत को आक़ा, इक पल में हँसा के दम लेंगे
जो आ’ला हज़रत वाले हैं, जो ताज-ए-शरीअत वाले हैं
वो सुल्ह-ए-कुल्ली की हस्ती दुनिया से मिटा के दम लेंगे
ये अहल-ए-हक़ शेवा है, इस में जन्नत का मेवा है
हम अहल-ए-सुनन हैं आक़ा का मीलाद मना के दम लेंगे
ईमान-ओ-यक़ीं के लहज़े में ये झूम के बोला किल्क-ए-रज़ा
गुस्ताख़-ए-नबी की गर्दन को इक पल में उड़ा के दम लेंगे
हर सुन्नी अपना भाई है, क्यूँ घर घर आज लड़ाई है
हर बिछड़े सुन्नी भाई को आपस में मिला के दम लेंगे
इस्लाम पे जीने वाले हैं, इस्लाम पे मरने वाले हैं
आती हैं सदाएं कर्बल से हम दीं को बचा के दम लेंगे