Dilon Ke Gulshan Mahak Rahe Hain Ye Kaif Kyun Aaj Aa Rahe Hain Naat Lyrics
दिलों के गुलशन महक रहे हैं, ये कैफ़ क्यूँ आज आ रहे हैं
कुछ ऐसा महसूस हो रहा है, हुज़ूर तशरीफ़ ला रहे हैं
नवाज़िशों पर नवाज़िशें हैं, इनायतों पर इनायतें हैं
नबी की ना’तें सुना सुना कर हम अपनी क़िस्मत जगा रहे हैं
कहीं पे रौनक़ है मय-कशों की, कहीं पे महफ़िल है दिल-जलों की
ये कितने ख़ुश-बख़्त हैं जो अपने नबी की महफ़िल सजा रहे हैं
न पास पी हो तो सूना सावन, वो जिस पे राज़ी वही सुहागन
जिन्होंने पकड़ा नबी का दामन उन्हीं के घर जगमगा रहे हैं
कहाँ का मनसब, कहाँ की दौलत, क़सम ख़ुदा की ! ये है हक़ीक़त
जिन्हें बुलाया है मुस्तफ़ा ने वही मदीने को जा रहे हैं
मैं अपने ख़ैरुल-वरा के सदक़े ! मैं उन की शान-ए-अता के सदक़े !
भरा है ऐबों से मेरा दामन, हुज़ूर फिर भी निभा रहे हैं
बनेगा जाने का फिर बहाना, कहेगा आ कर कोई दीवाना
चलो नियाज़ी ! चलें मदीने ! मदिनेवाले बुला रहे हैं