Basti Mere Viran Muqaddar Ki Basa Di Naat Lyrics
बस्ती मेरे वीरान मुक़द्दर की बसा दी
माँ जी की दुआओं ने मेरी बात बना दी
आसूदा मेरी माँ को खुदा रखे कह जिस ने
अजमत दर ए जेहरा की मेरे दिल में बसा दी
तैयार हमेशा इसे खिदमत को है पाया
जब भी सर ए शब् उठ के में ने सदा दी
मोसम की तमाज़त ने किया जब भी परेशान
शफ्क्क़त के दुपट्टे से मुझे ठंडी हवा दी
दोपहर के आजार को खुद सबर से झेला
राहत भरी हर शाम मेरे नाम लगा दी
खुशियों की फुवारों से मुझे कर के शराबूर
हर ग़म की मेरी रह से दीवार गिरा दी
है माँ की इता’अत का सिला गुलशन ए जन्नत
अफ्लाक से होती है शब् ओ रोज़ मुनादी
रहमत ने वहीं ले लिया आघोष में बढ़ कर
फारूकी मेरी माँ ने मुझे जब भी दुआ दी