Aarzooen Kaisi Hain Kaash Yun Huwa Hota Naat Lyrics
आरज़ूएँ कैसी हैं ! काश ! यूँ हुवा होता
बू-जहल के हाथों में कंकरी बना होता
अपने आक़ा के आगे कलमा तो पढ़ा होता
ग़ैब-दाँ नबी का एक मो’जिज़ा बना होताआरज़ूएँ कैसी हैं ! काश ! यूँ हुवा होता
बू-जहल के हाथों में कंकरी बना होता
अपने आक़ा के आगे कलमा तो पढ़ा होता
ग़ैब-दाँ नबी का एक मो’जिज़ा बना होताआरज़ूएँ कैसी हैं ! काश ! यूँ हुवा होता
काश ! मैं हलीमा की बकरी ही रहा होता
आक़ा मुझ को ले जाते, बन में चर रहा होता
दूध दोहते आक़ा अपने दस्त-ए-अक़्दस से
आज तक मुक़द्दर पर नाज़ कर रहा होता
आरज़ूएँ कैसी हैं ! काश ! यूँ हुवा होता
इक चट्टान की सूरत काश ! मैं रहा होता
आक़ा पाँव रख देते, मोम बन गया होता
नूरी अक्स क़दमों का दिल में भर लिया होता
उन के जां-निसारों के दिल में बस गया होता
आरज़ूएँ कैसी हैं ! काश ! यूँ हुवा होता
नज़्मी ! तुम तो भोले हो, ऐसा क्यूँ हुवा होता !
आल-ए-फ़ातिमा होना रब ने जब लिखा होता
अहल-ए-बैत में होना रब ने जब लिखा होता
आल-ए-मुस्तफ़ा होना रब ने जब लिखा होता
आरज़ूएँ कैसी हैं ! काश ! यूँ हुवा होता