Zikr e Aaqa Se Seena Saja Hai Ishq Hai Ye Tamasha Nahin Hai Naat Lyrics

 

 

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है
वो भी दिल कोई दिल है जहाँ में
जिस में तस्वीरे-तयबा नहीं है

ला-मकां तक है तेरी रसाई
गीत गाती है सारी ख़ुदाई
वो जग़ह ही नहीं दो-जहाँ में
जिस जग़ह तेरा चर्चा नहीं है

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है

हम हुसैनी हैं करबल के शैदा
दिल कभी भी न होता है मैला
क़ुफ्र की धमकियों से डरे जो
आशिक़ों का कलेजा नहीं है

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है

दुश्मने-मुस्तफ़ा से ये केह दो
ख़ैर चाहें तो हम से न उलझें
हम ग़ुलामाने-अहमद रज़ा हैं
कोई भी हम से जीता नहीं है

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है

खाके-पाए-नबी मुँह पे मलना
इत्र हो मुस्तफ़ा का पसीना
उनकी चादर का टुकड़ा कफ़न हो
और कोई तमन्ना नहीं है

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है

हज की दौलत जिसे मिल न पाए
जाए जाए वो घर अपने जाए
माँ के क़दमों को वो चूमले जो
संगे-असवद को चूमा नहीं है

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है

ऐ मेरी मौत रुक जा अभी तू
फिर चलेंगे जहां तू कहेगी
अपनी आँखों से आक़ा का रोज़ा
मैंने जी भर के देखा नहीं है

ज़िक्रे-आक़ा से सीना सजा है
इश्क़ है ये तमाशा नहीं है

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