Mere Dimaagh Mein Dil Mein Jigar Mein Rehte Hain Naat Lyrics

 

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं
ये घर है आक़ा का, अपने ही घर में रहते हैं

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं

करम है रहमत-ए-आलम का सारे आलम पर
वो नूर हो के लिबास-ए-बशर में रहते हैं

ये घर है आक़ा का, अपने ही घर में रहते हैं

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं

जो बा-अदब हैं अदब से सलाम पढ़ते हैं
जो बे-अदब हैं अगर और मगर में रहते हैं

ये घर है आक़ा का, अपने ही घर में रहते हैं

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं

ये जान होश-ओ-ख़िरद रोज़ा-ए-नबी की तरफ़
ग़ुबार बन के हमेशा सफर में रहते हैं

ये घर है आक़ा का, अपने ही घर में रहते हैं

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं

ग़ुबार-ए-तयबा की अज़मत न पूछिये हमसे
वो मिस्ल-ए-सुरमा हमारी नज़र में रहते हैं

ये घर है आक़ा का, अपने ही घर में रहते हैं

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं

नदीम ! तयबा अक़ीदत की राजधानी है
मेरे हुज़ूर मेरे चश्म-ए-तर में रहते हैं

ये घर है आक़ा का, अपने ही घर में रहते हैं

मेरे दिमाग़ में, दिल में, जिगर में रहते हैं

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