Marne Ki Hai Tamanna Na Jeene Ki Aarzoo Naat Lyrics

 

मरने की है तमन्ना ना जीने की आरज़ू
दश्ते-नबी से जाम को पीने की आरज़ू

इस बेख़ुदी के साथ निकल जाए मेरा दम
गलियों में यार की, ये कमीने की आरज़ू

हुस्न तो मिल गया है युसूफ को दोस्तो,
फूलों को मुस्तफ़ा के पसीने की आरज़ू

इतना हसीन हो जो भरे आँखें नूर से
किस्मत जगा दे ऐसे नगीने की आरज़ू

मंजधार में तिरे जो, तूफ़ान से लड़े जो
डूबे कभी ना ऐसे सफीने की आरज़ू

मांगा किसी ने ज़र और मरने के वास्ते
आ कर दरे नबी पे किसी ने की आरज़ू

खाए वतन के नाम पर जो खुद पे गोलियां
या रब ! मुझे भी उस ही सीने की आरज़ू

जो भी वहां पे मर गया बेख़ुद, जी गया
मुझ को वहां पे मरके है जीने की आरज़ू

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