Jab Husn Tha Un Ka Jalwa-numa Anwaar Ka Aalam Kya Hoga Naat Lyrics

 

जब हुस्न था उन का जल्वा-नुमा, अनवार का ‘आलम क्या होगा !
हर कोई फ़िदा है बिन देखे तो दीदार का ‘आलम क्या होगा !

क़दमों में जबीं को रहने दो, चेहरे का तसव्वुर मुश्किल है
जब चाँद से बढ़ कर एड़ी है तो रुख़्सार का ‘आलम क्या होगा !

इक सम्त ‘अली, इक सम्त ‘उमर, सिद्दीक़ इधर, ‘उस्मान उधर
इन जगमग जगमग तारों में माहताब का ‘आलम क्या होगा !

जिस वक़्त थे ख़िदमत में उन की अबु-बक्र-ओ-‘उमर, ‘उस्मान-ओ-‘अली
उस वक़्त रसूल-ए-अकरम के दरबार का ‘आलम क्या होगा !

चाहें तो इशारों से अपने काया ही पलट दें दुनिया की
ये शान है उन के ग़ुलामों की तो सरकार का ‘आलम क्या होगा !

कहते हैं ‘अरब के ज़र्रों पर अनवार की बारिश होती है
ए नज्म ! न जाने तयबा के गुलज़ार का ‘आलम क्या होगा !

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