Ik Main Hi Nahin Un Par Qurbaan Zamaana Hai Naat Lyrics
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
जो रब्ब-ए-दो-आ’लम का महबूब यगाना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
कल जिस ने हमें पुल से ख़ुद पार लगाना है
ज़हरा का वो बाबा है, हसनैन का नाना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
आओ ! दर-ए-ज़हरा पर फैलाए हुए दामन
है नस्ल करीमों की, लजपाल घराना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
उस हाशमी दूल्हा पर कौनैन को मैं वारूँ
जो हुस्न-ओ-शमाइल में यकता-ए-ज़माना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
इज़्ज़त से न मर जाएँ क्यूँ नाम-ए-मुहम्मद पर !
हम ने किसी दिन यूँ भी दुनिया से तो जाना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
हूँ शाह-ए-मदीना की मैं पुश्त-पनाही में
क्या इस की मुझे पर्वा दुश्मन जो ज़माना है !
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
सौ बार अगर तौबा टूटी भी तो क्या हैरत !
बख़्शिश की रिवायत में तौबा तो बहाना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है
महरूम-ए-करम इस को रखिए न सर-ए-महशर
जैसा है नसीर आख़िर साइल तो पुराना है
इक मैं ही नहीं, उन पर क़ुर्बान ज़माना है