Idhar Dhoondhti Hai, Udhar Dhoondhti Hai, Muhammad Ko Meri Nazar Dhoondhti Hai Naat Lyrics
इधर ढूँढती है, उधर ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
इधर उन का रौज़ा, उधर उन की जाली
ख़ुदा जाने किस को नज़र ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
जहाँ ढूँढती है, जिधर ढूँढती है
मदीने को मेरी नज़र ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
नज़र जिस सहीफ़े पे पड़ती है मेरी
मदीने की इस में ख़बर ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
ग़म-ए-जुस्तुजू में यहाँ तक हुई गुम
ख़ुद अपनी नज़र को नज़र ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
नज़र की ये महविय्यत-ए-शौक़ देखो
नज़र किस को पिछले पहर ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
वो जिस दर पे सज्दे किए थे नज़र ने
वही, हाँ ! वही संग-ए-दर ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
नज़र को नहीं राह-ए-जन्नत की हाजत
कि ये तो तेरी रह-गुज़र ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
दुआ के लिए लोग कहते हैं हम से
हमारी दुआ ख़ुद असर ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
जो पहले-पहल जालियों पर पड़ी थी
उसी चश्म-ए-नम को नज़र ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
मेरी चश्म पर शौक़ को क्या हुआ है
मदीने की शाम-ओ-सहर ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है
हमीद ! आज तक ख़ुद न आया समझ में
कि क्या चीज़ मेरी नज़र ढूँढती है
मुहम्मद को मेरी नज़र ढूँढती है