Hoga Ek Jalsa Hashr Mein Aisa Naat Lyrics

 

होगा एक जलसा हश्र में ऐसा
जिस में सरकार की अज़मत पे ख़िताबत होगी
सदरे-महशर हमारा रब होगा
हज़रते-बुलबुले-सिदरा की नक़ाबत होगी

होगा सर मुस्तफ़ा का सजदे में
जब परेशानी के आलम में ये उम्मत होगी
रब कहेगा ये मेरा वादा है
उसको बख़्शूंगा तेरी जिस में मुहब्बत होगी

मैं पढूंगा हदाइक़े-बख़्शिश
हश्र की भीड़ में गर मुझ को इजाज़त होगी
सुन के नारा लगाएंगे सुन्नी
और वहाबी के लिये दोहरी क़यामत होगी

ये वसीयत है एक आशिक़ की
कद की मिक़्दार में गहरी मेरी तुर्बत होगी
उठ सकू मैं पए-अदब फ़ौरन
जिस गड़ी क़बर में आक़ा की ज़ियारत होगी

आ’ला हज़रत वहाँ पे जाएंगे
जिस जगह उनके ग़ुलामों को ज़रुरत होगी
तू है एक रज़वी नातख्वां फ़ैज़ी
इस लिये तेरे मुक़द्दर में भी जन्नत होगी

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