Ham Ko Bulaana Ya Rasoolallah Naat Lyrics
Ham Ko Bulaana, Ya Rasoolallah ! (Kabhi To Sabz Gumbad Ka Ujaala Ham Bhi Dekhenge)
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
धड़क उट्ठेगा ये दिल या धड़कना भूल जाऐगा
दिल-ए-बिस्मिल का उस दर पर तमाशा हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
अदब से हाथ बाँधे उन के रौज़े पर खड़े होंगे
सुनहरी जालियों का यूँ नज़ारा हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
दर-ए-दौलत से लौटाया नहीं जाता कोई ख़ाली
वहाँ ख़ैरात का बटना, ख़ुदाया ! हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
बरसती गुम्बद-ए-ख़ज़रा से टकराती हुई बूँदें
वहाँ पर शान से बारिश बरसना हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
गुज़ारे रात-दिन अपने इसी उम्मीद पर हम ने
किसी दिन तो जमाल-ए-रु-ए-ज़ेबा हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
दम-ए-रुख़्सत क़दम मन भर के हैं महसूस करते हैं
किसे है जा के लौट आने का यारा, हम भी देखेंगे !
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !
पहुँच जाऐंगे जिस दिन, ए उजागर ! उन के क़दमों में
किसे कहते हैं जन्नत का नज़ारा हम भी देखेंगे !
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
कभी तो सब्ज़ गुम्बद का उजाला हम भी देखेंगे
हमें बुलवाएँगे आक़ा, मदीना हम भी देखेंगे
हम को बुलाना, या रसूलल्लाह !
हम को बुलाना, या हबीबल्लाह !