Durood Padte Huwe Jab Bhi Ibtida Ki Hai Naat Lyrics

Durood Padte Huwe Jab Bhi Ibtida Ki Hai Naat Lyrics

 

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है
नवाज़िशों की मेरे रब ने इन्तिहा की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

ये आफ़ताब, ये मेहताब, केहकशां, अन्जुम
जो रोशनी है जहाँ में वो मुस्तफ़ा की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

मैं उम्मती हूँ मुह़म्मद का फ़ख्र है मुझको
ख़ुदा ने ऐसी सआदत मुझे अता की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

बना के उस्वा-ए-ह़स्ना को बेहतरीन मिसाल
नबी के चेहरे की तौसीफ वद्दोहा की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

हुज़ूर अब तो करम की निग़ाह हो जाए
जो हाज़री के लिए दिल से इल्तिज़ा की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

मैं उनकी ज़ाते-गिरामी पे क्यूँ न जाऊं निसार
वो जिसने मेरे हर एक दर्द की दवा की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

नबी के इश्क़ ने सैराब कर दिया हमदम
नबी की ज़ात से है जो भी ताबना की है

दुरूद पड़ते हुवे जब भी इब्तिदा की है

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