Baag e Jannat Mein Nirali Chaman Aaraai Hai Naat Lyrics
बाग़े-जन्नत में निराली चमन आराई है
क्या मदीने पे फ़िदा हो के बहार आई है
उन के गेसू नहीं रहमत की घटा छाई है
उन के अब्रू नहीं दो क़िब्लों की यकजाई है
सरे-बालीं उन्हें रहमत की घटा लाई है
हाल बिगड़ा है तो बीमार की बन आई है
जिस के हाथों के बनाए हुए हैं हुस्नो-जमाल
ऐ हसीन ! तेरी अदा उस को पसंद आई है
तेरे जल्वों में ये आलम है की चश्मे-आलम
ताबे-दीदार नहीं फिर भी तमाशाई है
जब तेरी याद में दुनिया से गया है कोई
जान लेने को दुल्हन बन के कज़ा आई है
दर्दे-दिल किस को सुनाऊँ मैं तुम्हारे होते
बेकसों की इसी सरकार में सुनवाई है
चश्मे-बे-ख़्वाब के सदक़े में है बेदार नसीब
आप जागे तो हमें चैन की नींद आई है
ना-उम्मीदो तुम्हें मुज़्दा की ख़ुदा की रहमत
उन्हें महशर में तुम्हारे ही लिये लाई है
ए हसन ! हुस्ने-जहां ताब के सदक़े जाऊं
ज़र्रे ज़र्रे से अयां जल्वा-ए-ज़ेबाई है