Ab to Bas Ek Hi Dhun Hai Ke Madina Dekhun Naat Lyrics

 

 

आख़री वक़्त में क्या रौनक़-ए-दुनिया देखूँ

अब तो बस एक ही धुन है कि मदीना देखूँ

 

मैं कहाँ हूँ, ये समझ लूँ तो उठाऊँ नज़रें

दिल जो संभले तो मैं फिर गुंबद-ए-ख़ज़रा देखूँ

 

जालियाँ देखूँ कि दीवार-ओ-दर-ओ-बाम-ए-हरम

अपनी मा’ज़ूर निगाहों से मैं क्या क्या देखूँ

 

मेरे मौला ! मेरी आँखें मुझे वापस कर दे

ताकि इस बार मैं जी भर के मदीना देखूँ

 

काश, इक़बाल ! यूँही ‘उम्र बसर हो मेरी

सुब्ह का’बे में हो और शाम को तयबा देखूँ

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