Mere Khwaja Ka Mela Aaya Naat Lyrics
ख़्वाजा पिया ! ख़्वाजा पिया ! ख़्वाजा पिया ! ख़्वाजा पिया !
अजमेर की सुंदर नगरी में, वलियों के राजा रहते हैं
उस देस का, यारो ! क्या कहना ! जिस देस में ख़्वाजा रहते हैं
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
ज़माना कुछ भी कहे, मेरा आसरा ख़्वाजा
पुकारता ही रहूँगा हमेशा, ‘या ख़्वाजा’
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मुझे तो दीन भी, दुनिया भी उन के दर से मिली
ज़माने भर की ख़ुशी उन की रह-गुज़र से मिली
क़दम क़दम पे हुए मेरे रहनुमा ख़्वाजा
पुकारता ही रहूँगा हमेशा, ‘या ख़्वाजा’
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
ज़माना यूँ ही तो कहता नहीं ग़रीब-नवाज़
तमाम दुनिया में होती है आज नज़्र-ओ-नियाज़
कि फ़ैज़-ए-‘आम जो जारी है आप का, ख़्वाजा !
पुकारता ही रहूँगा हमेशा, ‘या ख़्वाजा’
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मैं लड़ रहा हूँ जो तूफ़ान-ए-ग़म की मौजों से
निकल के आया हूँ बहर-ए-अलम की मौजों से
हैं मेरी कश्ती-ए-हस्ती के ना-ख़ुदा ख़्वाजा
पुकारता ही रहूँगा हमेशा, ‘या ख़्वाजा’
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
वही है फ़र्क़ शरी’अत में और तरीक़त में
जो सिलसिला है अक़ीदत में और मोहब्बत में
कोई भी शक्ल हो, हैं इस का आईना ख़्वाजा
पुकारता ही रहूँगा हमेशा, ‘या ख़्वाजा’
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
जिन्हें तलाश है हक़ की वो इस तरफ़ आएँ
हुज़ूर-ए-ख़्वाजा अक़ीदत के फूल बरसाएँ
रसूल से है ख़ुदा तक का सिलसिला ख़्वाजा
पुकारता ही रहूँगा हमेशा, ‘या ख़्वाजा’
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
मेरे ख़्वाजा का मेला आया, मेरे ख़्वाजा का मेला आया
नात-ख़्वाँ:
हाफ़िज़ डॉ. निसार अहमद मार्फ़ानी
KHwaja piya ! KHwaja piya !
KHwaja piya ! KHwaja piya !
ajmer kee sundar nagari me.n
waliyo.n ke raaja rahte hai.n
us des ka, yaaro ! kya kahna !
jis des me.n KHwaja rahte hai.n
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya
zamaana kuchh bhi kahe, mera aasraa KHwaja
pukaartaa hee rahu.nga hamesha, ‘ya KHwaja’
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya
mujhe to deen bhi, duniya bhi un ke dar se mili
zamaane bhar kee KHushi un kee rah-guzar se mili
qadam qadam pe hue mere rahnuma KHwaja
pukaartaa hee rahu.nga hamesha, ‘ya KHwaja’
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya
zamaana yu.n hee to kahta nahi.n Gareeb-nawaaz
tamaam duniya me.n hoti hai aaj nazr-o-niyaaz
ki faiz-e-‘aam jo jaari hai aap ka, KHwaja !
pukaartaa hee rahu.nga hamesha, ‘ya KHwaja’
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya
mai.n la.D raha hu.n jo toofaan-e-Gam kee maujo.n se
nikal ke aaya hu.n bahr-e-alam kee maujo.n se
hai.n meri kashti-e-hasti ke naa-KHuda KHwaja
pukaartaa hee rahu.nga hamesha, ‘ya KHwaja’
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya
wahi hai farq sharee’at me.n aur tareeqat me.n
jo silsila hai aqeedat me.n aur mohabbat me.n
koi bhi shakl ho, hai.n is ka aa.eenaa KHwaja
pukaartaa hee rahu.nga hamesha, ‘ya KHwaja’
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya
jinhe.n talaash hai haq kee wo is taraf aae.n
huzoor-e-KHwaja aqeedat ke phool barsaae.n
rasool se hai KHuda tak ka silsila KHwaja
pukaartaa hee rahu.nga hamesha, ‘ya KHwaja’
mere KHwaja ka mela aaya
mere KHwaja ka mela aaya