mere kamli waale ki shaan he niraali hai naat lyrics
Hindi And English Naat Lyrics
मेरे कमली वाले की शान ही निराली है
दो जहां के दाता हैं और हाथ ख़ाली है
Mere Kamli Waale Ki Shaan He Niraali Hai
Do Jahan Ke Data Hein Aur Haath Khaali Hai
खुल्द जिसको कहते हैं यानी देखी भाली है
सब्ज़ सब्ज़ गुम्बद है और सुनहरी जाली है
Khuld Jisko Kahate Hein Yaa’ni Dekhi Bhaali Hai
Sabz Sabz Gumbad Hai Aur Sunahari Jaali Hai
छांव महकी -महकी है, धूप ठन्डी ठन्डी है
शहरे मुस्तफ़ा तेरी बात ही निराली है
Chhaao(N) Mahki –Mahki Hai, Dhoop Thandi-Thandi Hai
Shahrey Mustafa Teri Baat He Niraali Hai
चांद की त़रह उनको हम कहें तो मुजरिम हैं
क्योंकि उनकी चौखट पर चांद खुद सवाली है
Chand Ki Tarah Unko Hum Kahe(N) To Mujrim Hein
Kyonki Unki Choukhat Par Chand Khud Suwaali Hai
उसके लाख सज्दे भी काम आ नहीं सकते
अज़मते मुह़म्मद से क़ल्ब जिसका ख़ाली है
Uske Laakh Sajde Bhi Kaam Aa Nahi Sakte
Azmatey Muhammad Se Qalb Jiska Khaali Hai
हम गुनाहगारों को रब से बख़्शवा लेंगे
उनके रब ने कब उनकी कोई बात टाली है
Hum Gunah-Gaaron Ko Rab Se Bakhshwa Lenge
Unke Rab Ne Kab Unki Koi Baat Taali Hai
सर जमीनें कअ़बा भी सर ज़मीन तैबा भी
ये भी नूर वाली है वह भी नूर वाली है
Sar Zaminey Kaaba Bhi Sar Zameeney Taiba Bhi
Ye Bhi Noor Waali Hai Wah Bhi Noor Waali Hai
उम्र भर के सज्दों के दाग़ हैं जबीनों पर
दिल तेरा मगर नज्दी नूरे हक़ से ख़ाली है
Umr Bhar Ke Sajdon Ke Daagh Hein Jabeeno Par
Dil Tera Magar Najdi Noore Haq Se Khaali Hai
आरिज़े मुह़म्मद से गेसूए-मुह़म्मद तक
सुबह भी अनोखी है शाम भी निराली है
Aariz-E-Muhammad Se Gesu-E- Muhammad Tak
Sub’h Bhi Anokhi Hai Sham Bhi Niraali Hai
रोज़ भीक मिलती है राज़ बाबे रह़मत से
दामने तलब अपना क्यों कहूं कि ख़ाली है
Roz Bheek Milti Hai Raaz Babe Rahmat Se
Daamne Talab Apna Kyon Kahoon Ki Khaali Hai
Hindi And English Naat Lyrics
Hindi And English Naat lyrics
मेरे कमली वाले की शान ही निराली है
दो-जहाँ के दाता हैं, सारा जग सवाली है
ख़ुल्द जिस को कहते हैं मेरी देखी-भाली है
सब्ज़ सब्ज़ गुम्बद है और सुनहरी जाली है
चाँद की तरह उन को हम कहें तो मुजरिम हैं
क्यूँ-कि उन की चौखट पर चाँद ख़ुद सवाली है
छाँव महकी महकी है, धूप ठंडी ठंडी है
शहर-ए-मुस्तफ़ा तेरी हर बात ही निराली है
वो बिलाल-ए-हब्सी हों या ओवैस-ए-करनी हों
उन पे मरने वालों की हर अदा निराली है
हर तरफ़ मदीने में भीड़ है फ़क़ीरों की
एक देने वाला है, कुल जहाँ सवाली है
हम गुनाहगारों को रब से बख़्शवा लेंगे
उन के रब ने कब उन की कोई बात टाली है
ये भी इक तवज्जोह है मेरे कमली वाले की
राज़ ! मैंने कुछ दिन से शक्ल ये बना ली है