Lab Par Naat-e-Paak Ka Naghma Kal Bhi Tha Aur Aaj Bhi Hai Naat Lyrics

Lab Par Naat-e-Paak Ka Naghma Kal Bhi Tha Aur Aaj Bhi Hai Naat Lyrics

 

लब पर ना’त-ए-पाक का नग़्मा कल भी था और आज भी है
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है

ओर किसी जानिब क्यूँ जाएँ, ओर किसी को क्यूँ देखें
अपना सब कुछ गुंबद-ए-ख़ज़रा कल भी था और आज भी है

पस्त वो कैसे हो सकता है जिस को हक़ ने बुलंद किया
दोनों जहाँ में उन का चर्चा कल भी था और आज भी है

बतला दो गुस्ताख़-ए-नबी को ग़ैरत-ए-मुस्लिम ज़िंदा है
दीन पे मर मिटने का जज़्बा कल भी था और आज भी है

फ़िक्र नहीं है हम को कुछ भी, दुख की धूप कड़ी तो क्या
हम पर उन के फ़ज़्ल का साया कल भी था और आज भी है

जिस के फ़ैज़ से बंजर सीनों ने शादाबी पाई है
मौज में वो रहमत का दरिया कल भी था और आज भी है

जिन आँखों से तयबा देखा, वो आँखें बेताब हैं फिर
इन आँखों में एक तक़ाज़ा कल भी था और आज भी है

सब हो आए उन के दर से, जा न सका तो एक सबीह
ये कि इक तस्वीर-ए-तमन्ना कल भी था और आज भी है

शायर:
सय्यिद सबीहुद्दीन रहमानी

ना’त-ख़्वाँ:
क़ारी वहीद ज़फ़र क़ासमी
ओवैस रज़ा क़ादरी

 

lab par naa’t-e-paak ka naGma kal bhi tha aur aaj bhi hai
mere nabi se mera rishta kal bhi tha aur aaj bhi hai

or kisi jaanib kyu.n jaae.n, or kisi ko kyu.n dekhe.n
apna sab kuchh gumbad-e-KHazra kal bhi tha aur aaj bhi hai

past wo kaise ho sakta hai jis ko haq ne buland kiya
dono.n jahaa.n me.n un ka charcha kal bhi tha aur aaj bhi hai

batla do gustaaKH-e-nabi ko Gairat-e-muslim zinda hai
deen pe mar miTne ka jazba kal bhi tha aur aaj bhi hai

fikr nahi.n hai ham ko kuchh bhi, dukh ki dhoop ka.Di to kya
ham par un ke fazl ka saaya kal bhi tha aur aaj bhi hai

jis ke faiz se banjar seeno.n ne shaadaabi paai hai
mauj me.n wo rahmat ka dariya kal bhi tha aur aaj bhi hai

jin aankho.n se tayba dekha, wo aankhe.n betaab hai.n phir
in aankho.n me.n ek taqaaza kal bhi tha aur aaj bhi hai

sab ho aae un ke dar se, jaa na saka to ek Sabih
ye ki ik tasweer-e-tamanna kal bhi tha aur aaj bhi hai

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