Kuch Karen Apne Yaar Ki Baaten Lyrics
Kuch Kareñ Apne Yaar Ki Baateñ
Kuch Dil e Daagh-daar Ki Baateñ
Hum To Dil Apna De Hee Baythe Haiñ
Ab Ye Kya Ikhtiyaar Ki Baateñ
Maiñ Bhi Guzra Hooñ Dawr e Ulfat Se
Mat Suna Mujh Ko Pyaar Ki Baateñ
Ahl e Dil Hee Yahaañ Nahiñ Ko-ee
Kya Kareñ Haal e Zaar Ki Baateñ
Pee Ke Jaam e Muhabbat e Jaanañ
Allah-Allah Khumaar Ki Baateñ
Mar Na Jaana Mat`a e Dunya Par
Sun Ke Tu Maaldar Ki Baateñ
Yuñ Na Hote Aseer e Zil’lat Tum
Sunte Gar Hoshiyaar Ki Baateñ
Har Ghar’ee Wajd Me Rahe Akhtar
Kijiye Us Dayaar Ki Baateñ
कुछ करें अपने यार की बातें
कुछ दिल-ए-दाग़दार की बातें
हम तो दिल अपना दे ही बैठे हैं
अब ये क्या इख़्तियार की बातें
मैं भी गुज़रा हूँ दौर-ए-उल्फ़त से
मत सुना मुझ को प्यार की बातें
अहल-ए-दिल ही यहाँ नहीं कोई
क्या करें हाल-ए-ज़ार की बातें
पी के जाम-ए-मोहब्बत-ए-जानाँ
अल्लाह अल्लाह ! ख़ुमार की बातें
मर न जाना मता’-ए-दुनिया पर
सुन के तू मालदार की बातें
यूँ न होते असीर-ए-ज़िल्लत तुम
सुनते गर होशियार की बातें
हर घड़ी वज्द में रहे अख़्तर
कीजिए उस दयार की बातें
मो’तदिल सुन्नियों की फ़ितरत है
करते हैं चार यार की बातें
फ़ित्ना तफ़्ज़ीलियत का फैला है
चल करें यार-ए-ग़ार की बातें
از: جانشین حضور مفتی اعظم حضرت علامہ مفتی محمد اختر رضا خاں قادری، ازہری، بریلوی رضی اللہ عنہ ( سفینۂ بخشش)
کچھ کریں اپنے یار کی باتیں
کچھ دل داغدار کی باتیں
ہم تو دل اپنا دے ہی بیٹھے ہیں
اب یہ کیا اختیار کی باتیں
میں بھی گزرا ہوں دور الفت سے
مت سنا مجھ کو پیار کی باتیں
اہل دل ہی یہاں نہیں کوئی
کیا کریں حال زار کی باتیں
پی کے جامِ محبت جاناں
اللہ اللہ خمار کی باتیں
مر نہ جانا متاع دنیا پر
سن کے تو مالدار کی باتیں
یوں نہ ہوتے اسیر ذلت تم
سنتے گر ہوشیار کی باتیں
ہر گھڑی وجد میں رہے اخترؔ
کیجئے اس دیار کی باتیں