ayat e karima in hindi – ayat e kareema hindi mein

 

ayat e karima आयते करीमा – आयते करीमा की बड़ी ही फ़ज़ीलत है ! जब भी कोई मुश्किल आन पढ़े ! हमें आयते करीमा ( ayat e kareema ) का विर्द करते रहना चाहिए !

आयते करीमा ( ayat e karima ) पढ़ने के बहुत फायदे है ! जिनमे से कुछ हम यहाँ बता रहे है !

आयते करीमा की फ़ज़ीलत –

आयते करीमा ( ayat e karima ) पढ़ने से ज़हनी सुकून हासिल होता है !
इंसान के माल में बेपनाह बरक़त होती है ! इंसान अगर आयते करीमा पढ़कर अपने माल पर फूंक मार दे तो उस माल में बहुत बरक़त होगी !
अगर कोई बीमार शख्स को आयते करीमा पढ़कर दम किया हुआ पानी पिलाया जाए तो इंशा अल्लाह वह ठीक हो जाए
रिज़्क़ में इज़ाफ़ा के लिए भी आयते करीमा का विर्द करते रहना चाहिए !
अच्छा रोज़गार हासिल करने के लिए आयते करीमा का विर्द करते रहना चाहिए !
हज़रते सय्यिदुना सा’द रज़ियल्लाहुतआला अन्हु से रिवायत कि शहंशाहे खुश खिसाल , पैकरे हुस्नो जमाल , दाफेए रंजो मलाल , साहिबे जूदो नवाल, रसूले बे मिसाल , बीबी आमिना के लाल हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया – हज़रते जुन्नून यानी हज़रते यूनुस अलैहिस्सलाम ने मछली के पेट में यह कलिमात ( ayat e karima ) कहे !

ayat e karima in hindi
ला इला-ह इल्ला अन्त सुब्हानक इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन *

तर-ज-मए कंज़ुल ईमान – कोई माबूद नहीं सिवा तेरे पाकी है तुझको बेशक मुझसे बे जा हुवा !

या – ए अल्लाह ( अज़्ज़वजल ) ! तेरे सिवा कोई माबूद नहीं , तू पाक है , बेशक मैं जुर्म ( अत्याचार ) करने वालों में से हूँ !

 

लिहाज़ा जो मुस्लमान इन कलिमात ( ayat e karima ) के साथ किसी मक़सद के लिए दुआ मांगे अल्लाह तआला उस की दुआ क़ुबूल फ़रमाता है !

बीमार शख्स बीमारी की हालत में चालीस मर्तबा यह दुआ ( ayat e karima ) पढ़े ! हदीस शरीफ में आया है की जिस मुसलमान ने बीमारी की हालत में चालीस मर्तबा यह मुबारक आयत पढ़ ली ! और उसी बीमारी में उसका इंतकाल हो गया ! तो चालीस शहीदों के बराबर सवाब पायेगा ! और अगर तंदुरुस्त गया तो उसके तमाम गुनाह बख़्श दिए जाएंगे !

ayat e karima in hindi
आयते करीमा
आयते करीमा
आयते करीमा
ayat e karima
ayat e kareema
सख़्त मुसीबत हो या किसी परेशानी का कोई हल नहीं निकलता है ! या वाक़ई हमारी जायज़ हाज़त हो तो आयते करीमा ( ayat e karima ) का दौर करवाना चाहिए और दुआ करना चाहिए ! दिल से निकली हुई दुआ अल्लाह ( अज़्ज़वजल ) कभी रद्द करते !

मेरे प्यारे दोस्तों कोई भी अमल इंसान करता है ! उसे नेक नियति से करना चाहिए ! कोशिश करे हर हाल में नमाज़ क़ज़ा ना हो !

क़ुरआन शरीफ की तिलावत में कोताही ना करो ! एक रुकू ही पढ़ो मगर रोज़ाना का मामूल होना चाहिए ! क्यूंकि क़ुरआन में ही शिफा है ! और क़ुरआन पढ़कर मांगी गयी दुआ कभी रद्द नहीं होती !

इस्लाम ये तालीम देता है की सबसे पहले फ़र्ज़ अदा करे ! फिर वाज़िब और फिर सुन्नत ! अगर आप कोई नमाज़ नहीं पढ़ते सिर्फ किसी भी वज़ीफ़ा को तरजीह देते है ! तो ये सही तरीका नहीं है !

You Also Read – Happy Ramadan Status And Quotes Images

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *