AA GAYE MAIDAN MAIN WAFADAR E SAHABA NAAT LYRICS

 

AA GAYE MAIDAN MAIN WAFADAR E SAHABA
LO AAGAYE MAIDAN MAIN WAFADAR E SAHABA

HAIN MERI JAAN (SAHABA),
HE MERI AAN (SAHABA),
HE MERI SHAAN (SAHABA),
MERI PEHCHAAN (SAHABA)

IZZAT KA HE HAQDAR WAFADAAR E SAHABA
ZILAT KA SAZAWAAR HAI GHADAR E SAHABA
AAQA KE SAHABA HAIN PYARE SAHABA
SAHABA SAHABA HAMARE SAHABA

NABI CHAND HAIN OR SITARE SAHABA

SIDDIQ KI TOHEEN BHALA KESE SUNE HUM
SIDDIQ TO HAI BESHAK SARDAR E SAHABA

IZZAT KA HAI HAQDAR WAFADAAR E SAHABA
SAHABA KE GHULAM ZINDA HAIN!

BATIL KE SAR KO TAN SAY JUDA KAR KE RAKH DIYA
MASH’HOOR HAIN JAHAN MAIN TALWAAR E SAHABA
IZZAT KA HAI HAQDAR WAFADAR E SAHABA

ANDHAY DILON KO JISNE DI IMAAN KI CHAMAK
BEMISAL O LAJAWAB THI GUFTAAR E SAHABA

IZZAT KA HE HAQDAR WAFADAAR E SAHABA

NABI CHAND HAIN OR SITAREY SAHABA
SEERAT HAI INKI SEERAT E SARKAR E DO AALAM
ALLAH KO PASAND HAI KIRDAAR E SAHABA

AA GAYE MAIDAN MAIN WAFADAAR E SAHABA
LO AAGAYE MAIDAN MAIN WAFADAAR E SAHABA

KARTE HAIN NAAZ IS PAY KHUDA KAY MALAIKA
HASIL HAI JIS BASHAR KO BHI DEEDAR E SAHABA

IZZAT KA HAI HAQDAR WAFADAR E SAHABA

UNKAY LIYE TO ULFAT E IBLEES BOHAT HAI
HUM TO BANAU HUYE HAIN TALABGAAR E SAHABA

HAI MERI JAAN (SAHABA),
HAI MERI AAN (SAHABA),
HAI MERI SHAAN (SAHABA),
MERI PEHCHAAN (SAHABA)

IZZAT KA HAI HAQDAR WAFADAR E SAHABA

AS’HABI KANUJOOM KA MUJDA INHE MILA
KESE BATAON AAPKO MAYAAR E SAHABA

IZZAT KA HE HAQDAR WAFADAAR E SAHABA
NABI CHAND HAIN OR SITARE SAHABA

ALLAH KO HE PYAR SAHABA KE AMAL SAY
DEKHO TO ZARA MUNKIRO WAQAR E SAHABA

IZZAT KA HE HAQDAR WAFADAAR E SAHABA

MERE MUAWIA PAY NA SHAB O SITAM KRO
BESHAK MUAWIA HAIN WAFADAAR E SAHABA

IZZAT KA HE HAQDAR WAFADAAR E SAHABA

ASIM PARHE GA JHOOM KE NAGMAIN SALAM KE
JAB KE LAGE GA HASHAR MAIN DARBAR E SAHABA

AA GAYE MAIDAN MAIN WAFADAR E SAHABA
LO AAGAYE MAIDAN MAIN WAFADAR E SAHABA

HAI MERI JAAN (SAHABA),
HAI MERI AAN (SAHABA),
HAI MERI SHAAN (SAHABA),
MERI PEHCHAAN (SAHABA)
SHAN E SAHABA,
HUB E SAHABA,
BHARTA RAHA HAI, BHARTA RAHE GA

IZZAT KA HAI HAQDAR WAFADAR E SAHABA
NABI CHAND HAIN OR SITARE SAHABA!

Itikaf Karne Ka Tarika, Dua, Niyat Aur Fazeelat

अगर आप भी इस रमज़ान में एतिकाफ करने का इरादा बना रहे हैं और आपको एतिकाफ को करने का तरीका, दुआ, नीयत, और फ़ज़ीलत के बारे में नहीं मालूम है तो आज हम आपको इतिकाफ के बारे में पूरी जानकारी देंगे।

Table of Contents

एतिकाफ़ क्या है ? Itikaf Kya Hai In Hindi

एतिकाफ़ का मतलब होता है रुक जाना, एतिकाफ़ को हम रमज़ान के आखिरी अशरे में यानी आखिरी 10 रोज़े में दुनिया से दूर मस्जिद में बैठकर औरत होतो घर के किसी हिस्से में बैठकर इबादत (नमाज़ पढ़ना, क़ुरान शरीफ़ की तिलावत करना, तस्बीह पढ़ना, जिक्र करना) करते हैं । इतिकाफ़ को इसीलिए करते हैं ताकि शबे कद्र से न महरूम रह पाए।

एतिकाफ करने का तरीका | Itikaaf karne Ka Tarika

अब आपको पता ही चल गया होगा की एतिकाफ क्या होता है और इतिकाफ क्यू किया जाता है . अब हम आपको इतिकाफ करने के तरीके के बारे में बताएँगे .

एतिकाफ़ की शर्ते (नियम) | Itikaf Ke Rules In Hindi

  1. मर्द मस्जिद में ही रहकर इबादत करे।
  2. औरत घर के किसी कोने में रहकर एतिकाफ़ कर सकती है
  3. बीसवीं तरावीह के दिन मगरिब की नमाज़ को पढ़कर एतिकाफ़ करने वाला शख्स मस्जिद में ही रुक जाए।
  4. लोगों से दुनियावी बातें करना मना है।
  5. मस्जिद के बाहर किसी दुनियावी काम से जाना मना है
  6. अगर मस्जिद में शौचालय नहीं है तो वो बाहर निकल सकता है।
  7. एतिकाफ करने वाला शख्श मरीज़ को देखने नहीं जा सकता।
  8. एतिकाफ के वक़्त इंसान किसी ज़नाज़े में भी शामिल नहीं हो सकता।

एतिकाफ़ की नीयत | Itikaf Ki Niyat In Hindi

नीयत का मतलब किसी भी चीज़ में नीयत यानी दिल से इरादा करना एतिकाफ़ की नीयत करने के लिए अगर आपको एतिकाफ़ की दुआ याद नहीं है तो आप दिल से इरादा कर सकते हैं।

एतिकाफ़ की नीयत करने के लिए आपको सिर्फ एतिकाफ़ की दुआ को पढ़ना पढता है। नीचे हमने एतिकाफ़ की दुआ को लिखा है।

एतिकाफ़ की दुआ | Itikaf Ki Dua

Itikaf Ki Dua
Itikaf Ki Dua

एतिकाफ़ की दुआ हिंदी में | Itikaf Ki Dua In Hindi

बिस्मिल्लाही दख़लतु व’अलैहि तवक्कलतु वनवयतू सुंनतुल इतिकाफ

मैं अल्लाह के ख़ुशनसीब नाम से मस्जिद में दाखिल हुआ हूँ और उसी पर भरोसा किया है और एतिकाफ़ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह मुझ पर अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।

एतिकाफ़ की दुआ इंग्लिश में | Itikaf Ki Dua In English

Bismillahi Dakhaltu Wa’Alayhi Tawakkaltu Wanawaytu Sunnatul I’tikaaf

Itikaf Ki Dua Translation In English

With the Blessed Name of Allah have I entered into the Masjid and in Him have I placed my trust, and I have made the intention of the Sunnah of I’tikaf. O Allah open Your doors of Mercy upon me.

एतिकाफ़ की दुआ अरबी में | Itikaf Ki Dua In Arabic

بسم الله دخلت و عليه توكلت و نويت سنت الاعتكاف۔

एतिकाफ़ की फजीलत | Itikaf Ki fazilat

इतना सबकुछ एतिकाफ़ के बारे में जानने के बाद अब हम आपको बताएंगे की एतिकाफ़ करने के फायदे क्या-क्या हैं।

  1. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स रमज़ान के आखिरी हिस्से में 10 दिन का एतिकाफ़ करेगा तो उस शख्स को दो हज और दो उमराह करने का सवाब मिलेगा।
  2. पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो इंसान रमज़ान में एक दिन और एक रात एतिकाफ करे तो उस इंसान को 300 शहीदों का सवाब मिलेगा।
  3. जो शख्स एतिकाफ़ करता है वो तमाम गुनाहों से बचा रहता है और उसके अमाल में नेकिया बढ़ती जाती है।
  4. इतिकाफ़ करने वाले इंसान का हर पल इबादत में लिखा जाता है।

 

शब-ए-क़द्र या लैलतुल-क़द्र क्या है ? दुआ, निशानियां, फ़ज़ीलत

अगर आप भी लैलातुल क़दर या शब ए क़द्र के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं तो आज हमारी टीम आपको लैलातुल क़दर की पूरी जानकारी आप तक पहुंचाएगी।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद शबे क़द्र क्या है ? दुआ, निशानियां, फ़ज़ीलत और इसे कब मनाया जाता है पूरी जानकारी मिल जाएगी।

Shab E Qadar Kya Hai

शबे क़द्र रमज़ान के आखिरी दस रोज़े के किसी ताक़ रोज़े में होती हैं। इस रात की अहमियत इतनी ज्यादा है इसीलिए अल्लाह पाक ने इसे पांच ताक रातों में ढूंढने को कहा है शब-ए-क़द्र की रात जिसने पा लिया समझलो उसकी सारी गुनाह माफ करदिए जायेंगे।

शब-ए-क़द्र की रात को ज़मीन पर इतने फरिश्ते उतरते हैं की पूरी ज़मीन फरिश्तों से भर जाती है।

Table of Contents

शब-ए-क़द्र या लैलतुल-क़द्र क्या है ?

शब-ए-क़द्र या लैलतुल-क़द्र रमज़ान के महीने के आखिरी हिस्से की एक रात को कहते हैं। शब-ए-क़द्र की रात के दिन जिब्रील अलैहिस्सलाम के द्वारा क़ुरान शरीफ़ की आयत प्यारे पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल (अवतरण ) हुई थी।

शब-ए-क़द्र रमज़ान के आखिरी हिस्से की ताक़ रात यानी की आखिरी पांच रात ( 21, 23, 25, 27, 29) में से किसी एक रात में होती है। क़ुरान शरीफ़ में इस रात का बयान सूरह लैलातुल कद्र में किया गया ।

लैलतुल क़द्र को पाने के लिए लोग एतिकाफ करते हैं ताकि वो इबादत करके लैलतुल क़द्र को पा सके .

लैलतुल-क़द्र की रात में मुसलमान रात भर कुरान शरीफ़ की तिलावत (पढ़ता) करता है और अपनी गुनाहों की माफ़ी मांगता है। लैलतुल-क़द्र की निश्चित समय ना होने के कारण मुसलमान पांच ताक़ रात (21, 23, 25, 27, 29) में शब ए बारात समझकर उस रात इबादत करता है।

शब-ए-क़द्र की अहमियत इसीलिए ज्यादा है क्यूकी शब ए कद्र के ही दिन दुनिया में क़ुरान शरीफ़ की आयत नाजिल होना शुरु हुई थी। शब-ए-क़द्र की रात को की गई इबादत (क़ुरान शरीफ़ की तिलावत , नफ्ल नमाज़ पढ़ना और तस्बीह पढ़ना ) को हर रात से ज़्यादा उम्दा माना जाता है।

लैलतुल-क़द्र की रात में क्या पढ़ना चाहिए?

लैलतुल-क़द्र की रात में क़ुरान शरीफ़ की तिलावत, नफ्ल नमाज़ (सालातुलतस्बीह, तहज्जुद की नमाज़) को पढ़ना, इस्लामिक दुआ को पढ़ाना और अपनी गुनाहों से माफ़ी मांगनी चाहिए।

शबे कद्र की रात कब है 2023?

शबे कद्र की रात 2023 में रमज़ान के आखिरी पांच ताक़ रात (21, 23, 25, 27, 29) है। शबे कद्र के निश्चित समय ना होने के कारण इस पांच रात में से कोई एक रात होती है।

No. Of Day Day,s Of Ramadan
Day 1 21
Day 2 23
Day 3 25
Day 4 27
Day 5 29
Table Of Laylatul Qadr

लैलतुल-क़द्र की रात की क्यू अहमियत है ?

लैलतुल-क़द्र की रात की इसलिए अहमियत है क्यूकी लैलतुल-क़द्र के ही दिन क़ुरान शरीफ़ की आयत प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल (अवतरण ) हुई थी। लैलतुल-क़द्र की ही दिन से क़ुरान शरीफ़ की आयत दुनियां में आना शुरु हुई थी।

शबे कद्र की दुआ हिंदी, अंग्रेजी, अरबी में

आएशा सल्लल्लाहु ने हुज़ूर सल्लल्लाहु से पूछा अगर मुझे लैलातुल कद्र की रात मिल जाए तो मैं अल्लाह पाक से क्या दुआ मांगू ? हुज़ूर सल्लल्लाहु ने कहा यह दुआ को पढ़ना.

Laylatul Qadr Ki Dua
Laylatul Qadr Ki Dua

शबे कद्र की दुआ हिंदी में | Laylatul Qadr Ki Dua In Hindi

अल्लाहुम्मा इंनका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फ’अफु अन्नी

शबे कद्र की दुआ का अनुवाद हिंदी में | Shabe Qadar Ki Dua Ka Tarzuma

ए अल्लाह आप माफ करने वाला है आप माफ़ करना पसंद करते हैं बस आप मुझे माफ़ फरमा दे।

शबे कद्र की दुआ अंग्रेजी में | Laylatul Qadr Ki Dua In English

Allahumma Innaka Afuwwun Tuhibbul Afwa Fa’Afu Anni

लैलतुल-क़द्र कब शुरु और ख़त्म होती है?

लैलतुल-क़द्र रमज़ान के अखरी हिस्से के ताक रात 21 से शुरु होती है और 29 को ख़त्म होते है।

शबे कद्र की रात की पहचान क्या है ? | Sign Of Laylatul Qadr

  1. सुबह जब सूरज निकलेगा तो इसमें किरड़ (rays) नहीं होगी मतलब की आप अपनी आंखो से जब सूरज को देखोगे तो उसमे से आपको चोंही नहीं लगेगी, चांद जैसा लगेगा ।
  2. ना तो ज़्यादा ठंड होगी और न ही ज़्यादा गरमी, शायद बारिश हो सकती है क्यूकी बारिश रहमत ही की तरह होती है।
  3. लैलातुल कद्र में फरिश्ते ज़मीन पर होते हैं इसीलिए शायद आपको कुत्तों या जानवरों के भूखने की आवाज़ न आए।
  4. इस रात इंसान सुकून में होता है।

लैलतुल-क़द्र की फजीलत | Benefits Of Laylatul Qadr

लैलतुल-क़द्र की बहुत सी फजीलत है। आज हम आपको उसी शबे कद्र की फजीलत में से कुछ फजीलत के बारे में आपको बताएंगे जो की हदीस और क़ुरान शरीफ़ में से होगी।

  1. अल्लाह पाक इरशाद फरमाते हैं की जो शख्स शबे कद्र की रात को ईमान और सवाब की नीयत से कयाम करता है अल्लाह पाक उसकी हर पिछली गुनाह (पाप) को माफ कर देते हैं।
  2. शबे कद्र की रात हज़ार रातों से अफजल है ।
  3. लैलतुल-क़द्र की इतनीअहमियत हैकी पूरीदुनियाके गुनहगारोंको माफ़ कर सकती है।

चार लोगों की शबे कद्र में माफी नहीं होती

  1. शराब पीने वाला
  2. मां-बाप की नाफरमानी करने वाला
  3. रिश्तेदारों से लड़ने वाला
  4. कीना (नफ़रत) रखने वाला

 

 

रमजान के पहले, दुसरे, और तीसरे अशरे की दुआ

रमज़ान का महीना शुरू हो गया है इसीलिए आज में आपको रमजान के अशरे की दुआ के बारे में बताऊंगा। रमज़ान के अशरे की दुआ को हर मुस्लमान को रमज़ान में ज़रूर पढ़ना चाहिए।

Table of Contents

रमज़ान में अशरा क्या होता है ?

रमज़ान में अशरा दिन को कहते हैं, रमज़ान में तीन अशरे होते है इन सब अशरे की अलग अलग फ़ज़ीलत है। रमज़ान में पहले 10 रोज़े तक पहला अशरा, 11 से 20 रोज़े तक दूसरा अशरा, और 21 से 30 रोज़े तक तीसरा अशरा होता है। सेहरी की दुआ

रमजान के अशरे की दुआ
रमजान के अशरे की दुआ

रमज़ान का पहला अशरा अल्लाह पाक से दया और माफ़ी मांगने के लिए, दूसरा अशरा अल्लाह पाक से सही रस्ते पर चलने और माफ़ी मांगने के लिए, और तीसरा अशरा अल्लाह पाक से जहन्नुम की आग से बचने के लिए होता है।

रमजान के पहले अशरे की दुआ

रमज़ान के पहले अशरे में हम अल्लाह पाक से दया और माफ़ी मांगने के लिए के लिए दुआ करते हैं क्युकी बेशक अल्लाह पाक ही बहुत रहम दिल है और वही माफ़ करने वाला है। इफ्तार की दुआ

रमजान के पहले अशरे की दुआ
रमजान के पहले अशरे की दुआ

पहले अशरे की दुआ हिंदी में

रब्बिग़ फिर वर-हम वा अंता खाइरुर राहिमीन

पहला अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा हिंदी में

हमारे रब, हमें माफ़ करें और हम पर रहम करें, क्योंकि बेशक आप रहम करने वालों में सबसे अच्छे हैं।

रमजान के पहला अशरे की दुआ अरबी में

رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ وَاَنْتَ خَيْرُ الرَّاحِمِيْنَ

पहले अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा उर्दू में

اے ہمارے رب! ہمیں بخش دے اور ہم پر رحم کر، کیونکہ تو رحم کرنے والوں میں بہترین ہے۔

पहले अशरे की दुआ इंग्लिश में

Rabbig fir war-ham wa-anta khairur-raahimeen

पहले अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा अंग्रेजी में

Our Lord, forgive us and have mercy on us, for You are the best of those who show mercy

रमजान के दूसरे अशरे की दुआ

रमज़ान का दूसरा अशरा अल्लाह से माफ़ी और रहमत के मांगने के लिए है। हम सबको मालूम ही है की हम जाने अनजाने में बहुत गुनाह कर देते है, इसलिए दूसरे अशरे में हमें अल्लाह पाक से माफ़ी और रहमत मांगनी चाहिए।

रमजान के दुसरे अशरे की दुआ
रमजान के दुसरे अशरे की दुआ

दूसरे अशरे की दुआ हिंदी में

अस्तग़्फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़म्बिन वा आतूबु इलैहि

दूसरे अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा हिंदी में

मैं अपने सभी गुनाहों के लिए अपने रब, अल्लाह पाक से माफ़ी मांगता हूँ और उसकी ओर मुड़ता हूँ।

रमजान के दूसरे अशरे की दुआ अरबी में

اَسْتَغْفِرُ اللّٰهَ رَبِّيْ مِنْ كُلِّ ذَنْبٍ\ وَّأَتُوْبُ إِلَيْهِ

दूसरे अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा उर्दू में

میں اپنے تمام گناہوں کے لئے اللہ تعالیٰ سے معافی مانگتا ہوں اور اس کی طرف مڑتا ہوں۔

दूसरे अशरे की दुआ इंग्लिश में

Astaghfirullah Rabbi min kulli zambin wa atubu ilaih.

दूसरे अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा अंग्रेजी में

I seek forgiveness from Allah, my Lord, for all my sins and turn towards Him.

रमजान के तीसरे अशरे की दुआ

रमज़ान के तीसरा यानी आखिरी अशरा में हम अल्लाह पाक से जहन्नुम की आग से बचने के लिए दुआ करते हैं क्युकी बेशक अल्लाह पाक ही हमे जहन्नुम की आग से बचा सकते हैं।

रमजान के तीसरे अशरे की दुआ
रमजान के तीसरे अशरे की दुआ

तीसरे अशरे की दुआ हिंदी में

अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार

तीसरा अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा हिंदी में

ऐ अल्लाह पाक मुझे जहन्नुम की आग से बचा

रमजान के तीसरा अशरे की दुआ अरबी में

اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّارِ

तीसरे अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा उर्दू में

اے اللہ مجھے جہنم کی آگ سے بچا

तीसरे अशरे की दुआ इंग्लिश में

Allahumma ajirni minan-naar

तीसरे अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा अंग्रेजी में

O Allah! Save me from hell – fire.

अगर आप रमज़ान के अशरे की दुआ को कसरत से पढ़ेंगे तो इंशाअल्लाह अल्लाह पाक आपकी तमाम गुनाहो को माफ़ करदेंगे और आप पर रहमत बरसायेंगे।

रमजान के 3 भाग कौन से हैं?

रमज़ान का पहला अशरा अल्लाह पाक से दया और माफ़ी मांगने के लिए, दूसरा अशरा अल्लाह पाक से सही रस्ते पर चलने और माफ़ी मांगने के लिए, और तीसरा अशरा अल्लाह पाक से जहन्नुम की आग से बचने के लिए होता है।

हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दुआ | Namaz Me Padhi Jane Wali Dua

आज हम आपको हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दुआ के बारे में बताएंगे जिसे आप आसानी से याद करके अपनी हर नमाज़ में पढ़ सकते हैं और यह भी बताएंगे की नमाज़ में क्या-क्या पढ़ा जाता है और कब पढ़ा जाता है।

अच्छी बात है यह की इनमे से कई नमाज़ की दुआ पांच शब्द से भी कम है, आप इन सब नमाज़ में पढ़ने वाली दुआ को एक ही दिन में आसानी से याद कर सकते हैं। इन नमाज़ की दुआओ को हर नमाज़ में पढ़ा जाता है चाहे वो ज़ुहर की नमाज़ हो या फिर फज़र की नमाज़।

Namaz Me Padhi Jane Wali Dua In Hindi
Namaz me padhne wali dua

नमाज़ में पढ़ने वाली दुआ

नमाज़ की नीयत की दुआ इन्नी वाज्जःतु वजहिया लिल्लज़ी फतरसामावाती वलअर्ज़ा हनी -फ़ो -व- वमा आना मिनल मुशरिकीन
तकबीर हिंदी में अल्लाहु अकबर
सना दुआ हिंदी में सुब्हान-कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबा-रा-कस्मुका व तआला जद्दु-का वलाइलाहा ग़ैरुक।
तव्वुज़ अऊज़ुबिल्लाहि मिनश शैतानिर रज़ीम @
तस्मियाह बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम
सूरह फातिहा हिंदी में अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन @ अर रहमा-निर-रहीम @ मालिकि यौमिद्दीन @ इय्याका न अबुदु व इय्याका नस्तईन @ इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम @ सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम @ गैरिल मग़दूबी अलय हिम् वलज़्ज़ाल्लीन (आमीन)।
फातिहा के बाद सूरह फातिहा के बाद क़ुरान शरीफ की कोई सूरह या फिर आप चारो कुल में से किसी सूरह को पढ़ा जाता है। या फिर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली छोटी सूरह को पढ़ सकते हैं।
रुकू यानी झुकने के हालत में ये तस्बीह पढ़े सुब्हाना रब्बीयल अज़ीम
कौमा यानी रुकू से उठने के बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह
खड़े ही हालत (कौमा) में रब्बना लकल हम्द
सज़दा की तस्बीह सुब्हा-ना रब्बियल आला
सज़दा के दरमियान की दुआ अल्लाहुम्मग्फिरली वरहमनी वहदीनी वअ-फिनी वरज़ुक-नी वज़बुर-नी वर्फा-नी
अत्तहिय्यात दुआ अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन-नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व ब-रकातुहू @ अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सालिहीन अशहदु अल्ला इला-हा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।
दुरूद शरीफ अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव वअला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहि-म इन्न-क हमीदुम्मजीद । अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिंव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिमा व अला आलि इब्राहि-म इन्नका हमीदुम्मजीद ।
दुआ ए माशूरा अल्ला हुम्मा इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी ज़ुलमन कसीरंव वला यग़्फिरुज़-जुनूब इल्ला अन-त फ़गफ़िरली मग़-फिरतम मिन इनदिका वर-हमनी इन्नका अन्तल गफ़ुरुर्रहीम।
फ़र्ज़ नमाज के बाद अल्लाहुम्मा अन्तस्सलामु व मिनकस्सलामु तबारकता या ज़ल-ज़लालि वल इकराम।
दुआ ए क़ुनूत अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनुका वनसतग़ फिरूका व नु’अ मिनु बिका व न तवक्कलु अलैका व नुस्नी अलैकल खैर व नश कुरुका वला नकफुरुका व नख्लऊ व नतरुकु मैंय्यफ-जुरूका @ अल्लाहुम्मा इय्याका नअबुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु वआलैका नस्आ व नह-फिदु व नरजू रहमतका व नख्शा अज़ाबका इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारिल मुलहिक़ ©
namaz-me-padhne-ki-dua-pdf-in-hindiDownload

अगर आपको हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दुआओ में कोई कमी लगती है तो आप मेहरबानी करके हमे ज़रूर बताएगा ताकि हम उस गलती को सुधार सकें और लोगो को सही तरीक़ा बता सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *